एनबीसीसी सुपरटेक के 16 प्रोजेक्ट को करेगी पूरा


नोएडा ग्रेनो के 25 हजार बायर्स को मिलेगा फायदा, 9945 करोड़ रुपए होंगे खर्च


नोएडा,


सुपरटेक के 25 हजार से होम बायर्स के लिए एक अच्छी खबर है। राष्ट्रीय कंपनी अधिनियम अपीलीय न्यायाधिकरण ने सुपरटेक की 16 अटकी हुई परियोजनाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन (एनबीसीसी) को दे दी है।

ये निर्माण कार्य एनबीसीसी को 12 से 36 महीनों में पूरा करना होगा। खास बात यह है कि इसके लिए बायर्स को सिर्फ वहीं पैसा देना है जो बिल्डर पर उसका पेंडिंग है। हालांकि इन प्रोजेक्ट में बनने वाले फ्लैट का अधिकांश पैसा बायर्स बिल्डर को दे चुके है।

ये फैसला नोएडा, ग्रेटर नोएडा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट, गुरुग्राम, देहरादून, मेरठ के प्रोजेक्ट है। इन प्रोजेक्ट्स में से ज्यादातर में लंबे समय से काम लटका हुआ है। इन प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए करीब 9945 करोड़ रुपए का खर्च होंगे। हालांकि सुपरटेक के कुल 17 प्रोजेक्ट है। जिसमें एक प्रोजेक्ट दिवालियापन की प्रक्रिया में है।

इन प्रोजेक्ट के तहत कुल 49 हजार से ज्यादा फ्लैट का निर्माण होना है। जिसमें नोएडा ग्रेटरनोएडा और ग्रेनो वेस्ट के करीब 20 से 25 हजार बायर्स को फायदा होगा। उन्हें सपनों का आशियाना मिलेगा। निर्माण कार्य मई 2025 में शुरू किया जा सकता है। इससे पहले कंपनी को एक एस्क्रो खाता खोलना होगा। ये खाता एनबीसीसी और आईआरपी दोनों की निगाह में रहेगा। इसी खाते से पैसा निर्माण में खर्च किया जाएगर। इस फैसले के बाद घर खरीदार, एक-दूसरे को बधाई दे रहे हैं।

एनसीएलएटी ने सुपरटेक की इन अटकी हुई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एनबीसीसी को व्यापक योजना तैयार करने का अधिकार दिया है। एनबीसीसी के आने से अटके हुए प्रोजेक्ट्स में निर्माण को गति मिलेगी और घर खरीदारों के हितों की भी रक्षा होगी। रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण के मानदंडों के अनुरूप ही यह निर्णय लिया गया है। जानकारों का मानना है कि एनसीएलएटी के इस फैसले से रियल ऐस्टेट के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा। इससे घर निवेशकों और खरीदारों का भरोसा बढ़ेगा।
इन प्रोजेक्ट पर होगा काम:
इकोविलेज-3, स्पोर्टस विलेज, इकोसिटी, नाथआई, अपकंट्री, इकोविलेज-1, मेरठ स्पोर्टस सिटी, ग्रीन विलेज, हिलटाउन, अरावली, रिवर फ्रेंष्ट, इकोविलेज, केपटाउन आदि प्रोजेक्ट शामिल है। जिनको पूरा करने की जिम्मेदारी अब एनबीसीसी को होगी।