Noida : पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह की एक बार फिर बढ़ सकती है मुश्किलें

:- तत्कालीन प्राधिकरण के ठेकेदारों की भी बढ़ सकती है परेशानियां

नोएडा :- नोएडा प्राधिकरण में करोड़ों रुपए के घोटाले करने वाले पूर्व चीफ  इंजीनियर यादव सिंह की मुश्किलें एक बार फि र बढ़ गई है। यादव सिंह मामले में करीब तीन हफ्ता पहले उत्तर प्रदेश शासन ने नरेंद्र भूषण को जांच दोबारा से सौंपी थी। अब इस मामले में नरेंद्र भूषण ने नोएडा प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी ऋतु महेश्वरी को लेटर लिखा है। उन्होंने यादव सिंह मामले में जुड़ी सभी फाइलें नोएडा अथॉरिटी से मांगी है। जैसे ही नरेंद्र भूषण के द्वारा ऋतु महेश्वरी को पत्र लिखने की जानकारी तीनों प्राधिकरण में काम करने वाले पूर्व ठेकेदारों को लगी तो वह परेशान हो गए हैं। इस मामले में जांच के दौरान नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण में काम करने वाले काफी ठेकेदारों के ऊपर गाज गिर सकती है।

नोएडा प्राधिकरण से मांगी गई जानकारी
    नरेंद्र भूषण ने ऋतु महेश्वरी को पत्र लिखकर यादव सिंह से संबंधित सिविल, विद्युत, जन स्वास्थ्य, जन बाह्य एजेंसी, विज्ञापन, बीओटी, उद्यान, जल और गंगाजल आदि में जारी किए गए टेंडर और किए गए कार्यों की जानकारी मांगी है। यादव सिंह से जुड़ी लगभग 1200 फाइलें है। इनमें से 500 फाइलों को ग्रेटर नोएडा भेजा गया था। ये सभी फाइलें वापस आ गई है। इनको और अन्य 700 फाइलों को मिलाकर एक रिपोर्ट तैयार की जा रही है। ये रिपोर्ट लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव को भेजी जा रही है।

यहां हम आपको बता दें कि जब नरेंद्र भूषण ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी थे तो उनको यादव सिंह मामले में पूरी जांच करने के आदेश दिए गए थे, लेकिन पीडब्ल्यूडी में तबादला होने के बाद सीईओ ने इस पूरे मामले में फाइल वापस उत्तर प्रदेश शासन को भेज दी थी। नरेंद्र भूषण इस समय लोक निर्माण के प्रमुख सचिव हैं। अब उत्तर प्रदेश शासन ने यादव सिंह मामले में पूरी जांच करने के आदेश एक बार फिर नरेंद्र भूषण को दिए हैं। जांच के दौरान यादव सिंह के प्रमोशन समेत काफी अनियमितताओं की परतें खोली जा रही हैं। यादव सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सीबीआई का आरोप है कि यादव सिंह ने 2004 से 2015 के दौरान अवैध तरीके से धन एकत्रित किया है। यादव सिंह ने इस दौरान गौतमबुद्ध नगर के तीनों विकास प्राधिकरण में बतौर चीफ इंजीनियर रहते हुए अवैध तरीके से धन एकत्र किया है। भ्रष्टाचार के माध्यम से यादव सिंह ने अपने पद का दुरुपयोग किया है।

यादव सिंह के खिलाफ कब हुई थी पहली बार जांच शुरू

यादव सिंह के खिलाफ पहली बार 2015 में जांच शुरू हुई थी। यह जांच तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने शुरू करवाई थी। हालांकि, बाद में यह मामला गौतमबुद्ध नगर पुलिस से हटाकर उत्तर प्रदेश सीबीसीआईडी को दे दिया गया था। कुछ दिन सीबीसीआईडी ने जांच की और बाद में इस मामले को क्लोज कर दिया गया था।


यादव सिंह पर आरोप

यादव सिंह। गूगल इमेज


सीबीआई के आरोप पत्र में कहा गया है कि यादव सिंह ने अप्रैल 2004 से अगस्त 2015 के बीच आय से अधिक 23.15 करोड़ रुपए जमा किए है। जो उनकी आय के स्रोत से लगभग 512.6 प्रतिशत अधिक हैं। सीबीआई के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह पर कुल 954 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। यह धोखाधड़ी नोएडा विकास प्राधिकरण में बतौर चीफ इंजीनियर रहते हुए एक अंडर ग्राउंड बिजली केबलिंग का टेंडर छोडऩे में की गई है। जांच में बात सामने आई है कि बिजली का केबल टेंडर होने से पहले ही सडक़ के नीचे दबा दिया गया था। टेंडर बाद में किया गया और भुगतान भी बाद में किया गया था।