सरस आजीविका मेला: एसएचजी उत्पादों के निर्यात विनियमन पर कार्यशाला आयोजित

:- मेले के 12वें दिन पहाड़ी राज्यों के उत्पादों की धूम, स्वाद और संस्कृति का अनूठा संगम

नोएडा। सरस आजीविका मेला-2025 के 12वें दिन मंगलवार को एसएचजी (स्वयं सहायता समूह) के उत्पादों के लिए निर्यात विनियमन और अनुपालन विषय पर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला को इंटरनेशनल ट्रेड कंसलटेंट मानस चुग ने संबोधित किया। उन्होंने बताया कि देशभर से आई महिला उद्यमियों के हस्तनिर्मित उत्पाद बेमिसाल हैं, लेकिन इन्हें निर्यात के लिए उचित मार्गदर्शन और प्लेटफॉर्म की आवश्यकता है। इस दौरान उन्होंने महिलाओं को निर्यात प्रक्रिया और अनुपालन संबंधी विस्तृत जानकारी प्रदान की। कार्यशाला में राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर) के सहायक निदेशक चिरंजीलाल कटारिया, शोध अधिकारी सुधीर कुमार सिंह और सुरेश प्रसाद के साथ केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधिकारी भी मौजूद रहे।

स्वाद और संस्कृति का महासंगम

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय और एनआईआरडीपीआर के समर्थन से आयोजित सरस आजीविका मेला-2025 का आयोजन नोएडा हाट, सेक्टर-33ए में 21 फरवरी से 10 मार्च तक किया जा रहा है। इस मेले में देश के 31 राज्यों की महिला उद्यमी अपने हस्तनिर्मित उत्पादों का प्रदर्शन कर रही हैं। मेले में हैंडीक्राफ्ट, हैंडलूम और पहाड़ी राज्यों के उत्पादों की खासी धूम है। मंगलवार को मेले के 12वें दिन भी लोगों की भीड़ उमड़ी और खरीदारी में जोरदार उत्साह देखा गया। उत्तराखंड की जय मां काली एसएचजी के बैग और पर्स, हिमाचल और झारखंड के अचार, जम्मू-कश्मीर की कश्मीरी शॉल और साड़ियों ने खरीदारों का ध्यान खींचा। वहीं, हिमाचल प्रदेश के जैकेट और साड़ी-सूट की भी भारी मांग रही।

इंडिया फूडकोर्ट में स्वाद का तड़का

मेले में इंडिया फूडकोर्ट भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। फूडकोर्ट के सब-कॉर्डिनेटर विष्णु जीके ने बताया कि यहां देशभर के स्वादिष्ट और प्रचलित व्यंजन उपलब्ध हैं, जिनका लोग भरपूर आनंद ले रहे हैं। एक छत के नीचे पूरे भारत के व्यंजनों का स्वाद चखना इंडिया फूडकोर्ट की खास पहचान है।

ओडिशी नृत्य ने जीता दिल

मनोरंजन के क्षेत्र में भी सरस मेला अपनी छाप छोड़ रहा है। मंगलवार को ओडिशा के बीना बंसल ग्रुप के कलाकारों ने ओडिशी नृत्य की प्रस्तुति से समां बांध दिया। उनकी प्रस्तुति ने दर्शकों का दिल जीत लिया। सरस आजीविका मेला न केवल ग्रामीण भारत की शिल्प कलाओं को प्रदर्शित करने का मंच है, बल्कि यह स्वाद, हस्तकला और संस्कृति का अनूठा संगम भी बन गया है। मेले में आए लोगों ने इसे सराहा और देशभर की संस्कृति की झलक का आनंद लिया।